लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय का परिसर पूरे देश को रेल मार्ग से जोडने वाले नगर मुगलसराय में स्थित है| महाविद्यालय संथापक स्व० पं० पारसनाथ तिवारी, जिन्हें लोग मुगलसराय का मालवीय भी कहते है, के सपनों को साकार करने और जीवंत सरस्वती का प्रतीक है| स्व० तिवारी जी ने इस पूर्वांचल की गरीबी, अज्ञानता और पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कला एवं शिक्षा के दीपक को प्रज्वलित किया, जो आज “पी० जी० महाविद्यालय” के रूप में जन-जन को आलोकित कर रहा है|
संस्था राष्ट्र को समर्पित मनीषी स्व० लाल बहादुर शास्त्री, जिनका देश एवं स्वतंत्रता संग्राम में आत्मत्याग एवं योदान अप्रतिम रहा है की स्मृति में सन 1969 में 71 छात्रो से प्रारंभ होकर 3500 छात्रों, 75 अध्यापको एवं कर्मचारियो के साथ उन्नतिपथ पर अग्रसर होते हुए थोड़े ही दिनों में अपनी संख्यात्मक एवं गुणात्मक प्रतिभा के विकास से शिक्षा जगत की विशाल वटवृक्ष बन गयी है|
संस्था को स्नातक स्तर पर कला संकाय में राष्ट्ररत्न स्व० लाल बहादुर शास्त्री की स्मृति में बसंत पंचमी 1968 को संस्थापक द्वारा स्थापित किया गया| उसके उपरांत 4 वर्ष में ही यह संस्था शिक्षा संकाय, 10 वर्षो में परास्नातक शिक्षा एवं अनुसन्धान का प्रमुख केंद्र बन गयी| विकास की यह गति यहाँ की गुणात्मक शिक्षा का ही उदाहरण कही जा सकती है| एम०ए० हिन्दी एवं अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, शिक्षाशास्त्र विषय के साथ देश के भावी शिक्षको को प्रशिक्षित करने हेतु बी०एड० की कक्षाए संचालित की जाती हैं| राजनीति शास्त्र एवं इतिहास विभाग में स्नातकोत्तर कक्षाए संचालित होने की संभावना है|
पूर्वांचल की यह संस्था लाल बहादुर शास्त्री स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रबंध समिति द्वारा संचालित है | समिति का मुख्य उद्देश्य पिछड़ी एवं निर्धन आबादी बाहुल्य क्षेत्र का बहुमुखी विकास एवं उन्नयन करना है| महाविद्यालय के संस्थापक एवं समिति के जनक पं० पारसनाथ तिवारी ने यह अनुभव किया कि कला विज्ञान के साथ तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा के माध्यम से क्षेत्र की आर्थिक व्यवस्था में सुधार लाया जा सके तो सच्चे अर्थो में उपलब्धि होगी|
संस्थापक के सपनों को साकार करने में वर्तमान प्रबंध समिति पूर्ण मनोयोग से महाविद्यालय के विकास कार्यो में तल्लीन है|